सपना
गाँव से चिट्ठी आई है
और सपने में गिरवी पड़े खेतों की
फिरौती लौटा रहा हूँ
पथराये कंधे पर हल लादे पिता
खेतों की तरफ जा रहे हैं
और मेरे सपने में बैलों के गले की घंटियाँ
घुंघरू की तान की तरह लयबद्ध बज रही हैं
समूची धरती सिर से पांव तक
हरियाली पहने मेरे तकिए के पास खड़ी है
गाँव से चिट्ठी आई है
और मैं हरनाथपुर जाने वाली
पहली गाड़ी के इंतजार में
स्टेशन पर अकेला खड़ा हूँ
और सपने में गिरवी पड़े खेतों की
ReplyDeleteफिरौती लौटा रहा हूँ !!!vastvik jivan ki dukh sapne me sukh ban jate hain !yatharth ki kvita ! bdhai !
धन्यवाद उषा जी...
ReplyDeleteबिमलेश भाई,
ReplyDeleteइस भयानक दौर में जहाँ किसान या तो खेती से पलायन कर रहा है या फिर आत्महत्या वहाँ ’मैं हरनाथपुर जाने वाली/पहली गाड़ी के इंतजार में/स्टेशन पर अकेला खड़ा हूँ । वाकई सुखद अनुभूति देता है।
सौमित्र आनंद
thanks Soumita jee, aaplogon ka sath hi mera sambal hai
ReplyDeleteगांव की दुनिया ही बड़ी अनोखी होती है।
ReplyDeleteवहां की मिट्टी की खुश्बू बड़ी सोंधी होती है, जो हमारे दिल पर दस्तक भी देती है।
सुबह की पहली किरण के साथ ही किसान अपने खेतों की ओर रुख करते हैं। जेठ की तपती दोपहरी में अपना खून- पसीना बहाते हैं। पर बदले में उन्हें क्या मिलता है....
आज भी गाँवों में ऐसे किसानों की कमी नहीं है जो फाकाकशी में दिन बिता रहे हैं। किसान आत्महत्या करने को मजबूर है। मगर प्रशासन भी मूक दर्शक बना तमाशा देख रहा है।
ऐसे हालात में जब जिन्दगी दुश्वार हो गयी हो। सपने भी गिरवी पड़ी जमीनों के ही आयेंगे। मगर इन हालातों में भी गाँव से पलायन कर शहर की ओर रुख करने की जगह, गांव में ही अपनी जड़ें मजबूत करने का हौंसला.......
काबिले तारीफ है।
श्वेता सिंह
ब्लाग पर आना सार्थक हुआ
ReplyDeleteकाबिलेतारीफ़ है प्रस्तुति
आपको दिल से बधाई
ये सृजन यूँ ही चलता रहे
साधुवाद...पुनः साधुवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
waah waah.... shandaar abhivyakti
ReplyDeletekavita padhkar gao ki yaad aa gayi........aur shabdo ne mitthi ko sondhi mahak ki lalak poori kar di.....badhayi
ReplyDeleteकविता क्या एक खाका सा खिंच गया है...कृषक जीवन का इस पोस्ट में ! रामकुमार वर्मा के शब्दों में हम तो यही कहेंगे " हे ग्राम देवता नमस्कार.....सोने चांदी से नहीं..... तुमने मिटटी से किया प्यार..." देश के कृषकों को हमारा नमन.....सुन्दर लेखन के लिए आपको बधाई
ReplyDeletekya baat hai..ek sukhad anubhuti hui yaha aakar
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