निशांत प्रेम-और बेरोजगारी के कवि के रूप में काफी लोकप्रिय हुए थे। सत्ताईस साल की उम्र में कविता पर उन्हें प्रतिष्ठित भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। उनकी कविता की एक किताब जवान होते हुए लड़के का कुबुलनामा भारतीय ज्ञानपीठ से पिछले साल छप कर आयी है। निशांत की लंबी कविताओं का एक संग्रह जी हां, लिख रहा हूं राजकमल प्रकाशन से छपकर आनेवाला है, जिसका लोकार्पण दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में होना है। उक्त संग्रह की कुछ अप्रकाशित कविताएं अनहद के पाठकों के लिए।
![]() |
निशांत - 09239612662 |
एक और बात जिसे कहना चाहिए। रवीन्द्रनाथ टैगोर की 13 कविताओं पर आधारित फिल्म त्रयोदसी में अंतर्राष्ट्रीय
ख्याति प्राप्त फिल्मकार-कवि बुद्धदेव दासगुप्ता के साथ बतौर सहायक निर्देशक और
अभिनेता निशांत कार्य कर रहे हैं। उनको ढेर सारी बधाइयां...
विक्टोरिया मेमोरियलः दो कविताएं
एक
उस भवन में
कोई नहीं रहता
एक अकेली परी
उसके गुंबद पर नाचा करती है।
दो
दुनिया में
यही एक जगह है
जहां मैं
तुम्हे प्यार कर सकता हूं
अहा
पांच रूपया
और विक्टोरिया मेमोरियल...।
जादू शुरू होता है
(कवि-फिल्मकार बुद्धदेव दासगुप्ता के लिए)
एक
जादू शुरू होता है
पहले बत्तियां बुझाई जाती हैं
फिर एक प्रतिसंसार
एक नई दुनिया...
अपने जैसी ही शुरू होती है
चिडियों की आवाज
एक पूरा खड़ा पेड़ एक गिलहरी पत्ते का गिरना
हवा का बहना पानी का चलना
बंशी का बजना पृथ्वी का घूमना
सपने जैसा कुछ सच होना
एक कविता पूरी...
अपनी पूरी वजूद गढ़ने लगती है
हम जब उसके सांसों से मिलाकर लेने लगने लगते हैं सांस
उसकी आंखों से देखने लगते हैं दुनिया
शामिल हो जाते हैं अपनी ही एक नई दुनिया में, तब...
जादू शुरू होता है।
दो
एक कवि है
एक फिल्मकार है
एक अच्छा इंसान है
आप उसके नजदीक जाइए...
अब, जादू शुरू होता है...।
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
परिचय अच्छा लगा ॥आभार
ReplyDeleteखूब ....बढ़िया !
ReplyDelete